My Creations
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बीती रात कुछ अजीब से चेहरे दिखाई दिए
कुछ जाने पहचाने कुछ पहचान से परे
हर चेहरा, हर नज़र सवाल पूछती रही
सच झूठ की कहानी कहती रही
सच – जिसे न जाने कोई , न माने कोई
ऐसे सच का थामे हाथ झूठ की पेरवी करते
बीती रात कुछ अजीब से चेहरे दिखाई दिए
कुछ जाने पहचाने कुछ पहचान से परे
नज़रे जब तक झुकी थी भली थी ये
इन्होने उठते ही तबाही मचा दी
नज़रो ने जुर्म किया , अब लबो की बारी थी
सच -झूठ की कुछ दास्ताँ इन्होने भी सुना दी
तो भीड़ में छिपा वो एक चेहरा खफा हो गया
न नज़रे थमी, न लब रुके,
मासूम लबो और भीगी नज़रो के गुनाह गिनाते
बीती रात कुछ अजीब से चेहरे दिखाई दिए
कुछ जाने पहचाने कुछ पहचान से परे
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